sherdil movie

हेलो दोस्तों, आज हम आपके साथ शेयर करेंगे पंकज त्रिपाठी की एक और मूवी की जिसमे त्रिपाठी के रोल ने अपनी एक अलग ही एक्टिंग से अपने दोस्तों के दिल को छुआ है।



दोस्तो यू तो पंकज त्रिपाठी की मूवी में उनका रोल हमेशा ही लोगों के लिए दिलचस्प होता है मगर शेरदिल मूवी में ये एक बार फिर से साबित भी हुआ है कि त्रिपाठी किसी से कम नहीं है।

मूवी:- शेरदिल: द पीलीभीत सागा

निर्देशक:- सृजित मुखर्जी

फिल्म की कहानी


दोस्तों फिल्म की कहानी एक गांव के सरपंच गंगाराम के चारों और घूमती नजर आती है। मूवी में पंकज त्रिपाठी गंगाराम का रोल निभा रहे होते हैं। इस गांव की आर्थिक हालात अछि नहीं है, गांव के किसान फसल नष्ट की समस्या से झूझ रहे हैं। गांव के लोगो को सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिल रही होती।

दूसरी समस्या होती है कि गंगाराम का गांव एक जंगल के करीब होता है इस कारण आये दिन जंगल के पशु गांव में घुस कर किसानों की फसल बर्बाद कर देते हैं।
 
फिल्म में सरपंच गंगाराम अपने गांव को इस बदहाली से बाहर लाने की हर संभव कोशिश करते हैं मगर वो कामयाब नही हो पाते।

ऐसी ही कसमकश के बीच गंगाराम को सरकार की एक योजना के बारे में पता चलता है कि इसके तहत कोई भीदमी जो जंगली जानवरों का शिकार हो जाता है उसके परिवार वालो को सरकार की तरफ से मुआवजा राशि दी जाती है, इसी आस में गंगाराम खुद पर जंगल के जानवर के आक्रमण की योजना बनाते हैं।

दर्शकों के अनुसार मूवी अगर थोड़े कम टाइम की होती तो शायद ज्यादा बैटर फील हो सकता था।

फिल्म में पंकज त्रिपाठी की डायलॉगबाजी तथा फिल्म की सिनेमेटोग्राफी दर्शकों का मन मोहने वाली है।

1. शेरदिल मूवी पूरी तरह से पंकज त्रिपाठी पर केंद्रित है।

2. हालांकि त्रिपाठी ने मूवी के किरदार को निभाने में कोई कसर नही छोड़ी, मगर केंद्रीय किरदार होने की वजह से उनकी एक्टिंग पर असर को साफ देखा जा सकता है।

क्यों देखे यह मूवी?


1. फिल्म में OTT के सुपरस्टार पंकज त्रिपाठी का अभिनय देखने लायक है। इसलिए पंकज त्रिपाठी के फॉलोवर्स मूवी को मिस न करें।

2. फिल्म में ग्रामीण इलाकों की सच्चाई को उजागर किया गया है, की कैसे लोग अपना जीवन यापन करते हैं, कैसे उन्हें अपने परिवार का व
पेट पालने के लिए अपना बलिदान तक देना पड़ता है।

3. यह मूवी हमारे समाज मे सरकारी योजनाओं की पोल खोलती है की कैसे गांव के लोगो आज भी विकास की केवल राह तक रहे हैं।

4. फिल्म हमे यह भी बताने का प्रयास करती है कि जब जब इंसान जंगली जानवरों की बस्तियों पर अधिकार करता है तो कैसे वह खुद का ही विनाश कर रहा होता है।