मणिपुर हिंसा

 

मणिपुर हिंसा

मणिपुर हिंसा


भारत के नार्थ ईस्ट में स्थित मणिपुर राज्य से इन दिनों हिंसा की खबरों ने सभी के मन में कई तरह के सवाल खड़े कर दिये हैं कि, एक ऐसा राज्य जो सदा केवल अपनी सुन्दरता के लिए जाना जाता है, जहां जाने के लिए लोग तरसते हैं, जहां की सुन्दरता को देखकर लोगों के मन में वहीं बस जाने का विचार आता है, आखिर उस राज्य में ऐसा क्या हुआ कि देखते ही देखते गांव के गांव हिंसा की आग में झुलसते चले गये और सरकार को वहां शांति स्थापित करने के लिए पुलिस बल तक का प्रयोग करना पड़ा, यही सबकुछ आज हम अपने प्रसंग के माध्यम से आप लोगों को बताने का प्रयास करेंगें।

मणिपुर राज्य की सामान्य जानकारीः-

मणिपुर भारत के उत्तर-पूर्व में 22,347 वर्ग कि.मी. विस्तार वाला एक अति रमणीय तथा दर्शनीय प्रदेश है, जहां प्रतिवर्ष हजारों लोग घूमने के लिए जाते हैं

यहां की प्रमुख जनजाति मतै है जो यहां के घाटी क्षेत्र में रहती है, ये प्रायः मणिपुरी भाषा बोलते हैं, जिसे 1992 में भारत के संविधान  की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।

पर्वतीय क्षेत्रों की बात करे तो वहां मुख्य रूप से कुकी जनजाति निवास करती हैंै

मणिपुर हिंसा के कारणः-

मणिपुर में हिंसा का और विरोध का इतिहास काफी पुराना है, मगर आज के प्रपेक्ष्य में देखें तो हमें पता चलता है कि यहां के सरकार या प्रशासन के किये गये फैसले ही शायद इन सब विवादों के मूल में है।

मतै जनजाति यहां की एक बहुसंख्यक जनजाति है जो यहां के घाटि क्षेत्र में निवास करती है, जबकि उनकी आबादि काफी ज्यादा है।

मणिपुर में हिंसा भड़कने की बडी वजह हाईकोर्ट का हालिया निर्णय बताया जा रहा है कि जिसके अनुसार अब मतै समुदाय को जनजाति का दर्जा दिया जाना है।

हाईकोर्ट के इसी फैसले के बाद मतै समुदाय निशाने पर आ गया और वहां हिंसा भड़क गयी।

मणिपुर हिंसा के प्रमुख कारणः-

(1) मतै समुदाय मणिपुर के बहुसंख्यक हिन्दु हैं, जो यहां के घाटी क्षैत्र में रहते हैं, इन लोंगों को पहाडी क्षैत्र में जमीन खरीदने की मनाही है, जबकि पर्वतीय क्षैत्र में रहने वाले लोगों के लिए ऐसा करने पर किसी प्रकार कोई मनाही नही है ।

 

(2) मणिपुर हिंसा की दुसरी वजह पर्वतीय क्षैत्रों में सरकार द्धारा लगायी जा रही पाबंदियो को बताया जा रहा है जिसके अनुसार अवैध कब्जों पर कारवाई के साथ-साथ वहां पर किसी भी प्रकार की गैर कानूनी कामों पर रोक लगाने से है।

(3) कुकी जनजाति का यह भी कहना है कि इस नियम के आ जाने के बाद मैती जनजाति उनके जमीनों पर कब्जा कर लेंगें, क्योंकि जो लोग घाटी क्षेत्रों में रहते आ रहें है, उन्हें अब कहीं भी जमीन खरीदने का अधिकार मिल जायेगा।

(4) मणिपुर के हालिया बयानों के अनुसार कुकी जनजाति अवैध प्रवासियों पर की गई कारवाई से खुश नही है, इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं।

भूमि विशेषाधिकार: मैतेई जनता और कुकी जनता के बीच भूमि स्वामित्व के संबंध में अच्छी तरह से असहमति है। मैतेई जनता का तर्क है कि उनके पास भूमि की प्रामाणिक स्वतंत्रता है, जबकि कुकी जनता का तर्क है कि वे सदियों से भूमि पर कब्जा कर रहे हैं।

मणिपुर में पोस्ता की खेती पर भारत सरकार द्वारा भारी प्रतिबंध लगा दिया गया है। मैतेई और कुकी दोनों आबादी पोपियों की बिक्री में संलग्न हैं, और उन्होंने पोस्ता-विरोधी अभियान पर सुरक्षा बलों के साथ लड़ाई लड़ी है।

अवैध आप्रवासन मणिपुर में अवैध आप्रवासियों का एक बड़ा हिस्सा म्यांमार से है। मैतेई और कुकी दोनों आबादी ने एक दूसरे पर अवैध लोगों  को शरण देने का आरोप लगाया है।

मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति स्थिति के संबंध में मणिपुर उच्च न्यायालय का निर्णयर मैतेई समुदाय को 2022 में मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का आदेश दिया गया था। कुकी लोग इस आदेश से असहमत हैं' उनका दावा है कि इससे मैतेई लोगों को अनुचित लाभ मिलेगा। 


 

कैसे हुई हिंसा की शुरूआतः‘-

वैसे तो मणिपुर में विरोध और विशेष जनजाति के आंदोलन कोई नई बात नहीं है, मगर यहां पर वर्तमान स्थ्तिि की बात करें तो हालिया हिंसा की शुरूआत तीन मई को आल ट्राइबल स्टूडेंट्स युनियन मणिपुर ने आदिवासी एकता मार्च निकाला, इसी रैली के दौरान दो गुटो में झडप हो जाने के कारण हिंसा बढती ही चली गई और सरकार को यहां पर पैरामिलिट्री फाॅर्स को तैनात करना पडा।

मणिपुर हिंसा अपडेट

कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी 29 और 30 जून को मणिपुर की यात्रा करेंगे. कांग्रेस महासचिव के.सी. के मुताबिक. वेणुगोपाल, वह अपने दौरे के दौरान राहत शिविरों का दौरा करेंगे और चुराचांदपुर और इंफाल में नागरिक समाज समूहों के साथ बात करेंगे।

पहाड़ी इलाकों के प्रमुख कुकी कबीले और मैदानी इलाके में रहने वाले मैतेई समूह के बीच संघर्ष ने 3 मई से पूर्वोत्तर राज्य में अभूतपूर्व रक्तपात किया है। हिंसा के परिणामस्वरूप अब तक 110 से अधिक लोग मारे गए हैं, और कई लोग मजबूर हुए हैं अपने घरों से भाग जाओ.


गांधी ने मणिपुर की परिस्थितियों पर "चुप्पी" के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। गांधी ने हाल ही में ट्वीट किया, "जब प्रधानमंत्री देश से बाहर होते हैं, तो सर्वदलीय बैठक बुलाई जाती है। यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री इस बैठक को महत्व नहीं देते हैं।"


मणिपुर हिंसा: दफ्तर न आने वाले सरकारी कर्मचारियों पर काम नहीं तो वेतन नहीं नियम लागू होगा


मणिपुर में लगभग 50 से अधिक दिनों से जारी हिंसा के बीच सरकार का एक आदेष लोगों के बीच खासा वायरल हो रहा है, जिसमे कहा जा रहा है कि सरकार उन लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है जो सरकारी कर्मचारी होते हुए भी काम पर नहीं जा रहें है। 

इस आदेष के तहत सरकार के पास एक लाख से भी ज्यादा कर्मचारी हैं, मगर ऐसे कर्मचारी जो दफतर नहीं जा रहें हें, ऐसे लोगों की सूची संबंधीत कार्यालयों के सचीवों से मांगी जा रही है। 

बता दें कि मणिपुर में हिंसा व तनाव के कारण सरकार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, व इसकी वजह से लाखों लोगों को अपना घर-बार छोडकर विस्थापितो की जिन्दगी बिताने पर मजबूर होना पडा हैं।