Russia-Ukraine War

रूस-यूक्रेन युद्ध



russia ukraine war



रूस.यूक्रेन युद्ध पिछ्ले एक साल से भी ज्यादा समय से जारी हैए जिसने न जाने कितने ही सैनिको के साथ . साथ आम लोगो की जिंदगी को भी प्रभावित किया है।

युद्ध की वजह से केवल रूस और यूक्रेन ही प्रभावित हुए हैंए ऐसा भी कहना सही नहीं होगाए क्योंकि जब दो देश आपस मे युद्ध लड़ते हैं तो बाकी की सारी दुनिया भले ही उससे प्रत्यक्ष नही तो कम से कम अप्रत्यक्ष रूप से जरूर प्रभावित होती है।

रुस.यूक्रेन युद्ध के कारण


रूस तथा यूक्रेन के मध्य गतिरोध आखिरकार युद्ध में बदल ही गया, मगर क्या ये सब कुछ अचानक से हो गया जिसमें लाखों-करोड़ो का नुकसान तो हुआ ही इसके साथ ही न जाने कितने ही लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा। 
रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले की पृष्ठभूमि
रूस तथा यूक्रेन जो युद्ध के मैदान में एक दूसरे को अपना लोहा मनवाने की कोशिश कर रहें हैं, वे किसी समय में एक ही संघ USSR का हिस्सा थे, मगर सन् 1991 में यू.एस.एस.आर. के विघटन के बाद यूक्रेन एक स्वतंत्र देश बना। 

रूस तथा यूक्रेन के मध्य युद्ध के कारण


रूस तथा यूक्रेन के मध्य युद्ध को केवल किसी भी एक बिन्दु के आधार पर देखा या समझा नहीं जा सकता परन्तु फिर भी हम अपने इस प्रसंग में इस विवाद के संभावित कारणों के बारे में विचार करेंगें । 

रूस तथा यूक्रेन के मध्य विवादों की शुरूआत 2014 से समझी जा सकती है, जब फरवरी-मार्च में रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया जो यूक्रेन के अधिन था। 

इस प्रकार के अधिकार को अन्तराष्ट्रीय समूदाय के द्वारा गैर मान्य करार दिया गया जिसके बाद रूस को G8  से बाहर कर दिया गया व रूस पर विभिन्न प्र्रकार के प्रतिबंध लगा दिये गये। 

2014 में हुए इस युद्ध के दौरान लगभग 14000 से भी ज्यादा सैनिक व आम लोग मारे गए थे। 
सन् 2015 में फ्रांस व जर्मनी ने की मध्यस्थता के कारण इस युद्ध पर विराम लगा। 

इसके बाद जब रूस व यूक्रेन के मध्य समझौता हुआ तो यूक्रेन ने अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नाटो के साथ जाने के बारे सोचा, जिससे युद्ध या अन्य किसी भी प्रकार के विकट परिस्थिती के दौरान नाटो देश उसकी सहायता के लिए  आ सकें। 

इसके बाद रूस व यूक्रेन के मध्य धीरे-धीरे संबंध खराब होते गये तथा यूक्रेन का धैर्य तब जवाब दे जाता है, जब रूस के द्वारा यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र पर कब्जा कर लिया जाता है, तथा इस क्षेत्र को स्वतंत्र मान्यता दे दी। 

इसके बाद रूस व यूक्रेन के मध्य तनाव लगातार बढता चला गया व एक समय के बाद आखिर यह ज्वालामुखी फुटा जिसने अपने साथ न जाने कितने ही लोगों की जीवन को पुरी तरह से बदल दिया तथा दोनों देशो कें साथ- साथ पूरे विश्व को प्रभावित कर रहा है। 

24 फरवरी 2022 को रूस के राष्ट्रपति ने यह कहते हुए यूक्रेन पर हमला करने का आदेश दिया था कि यह कोई देश जीतने की कोशिश नहीं बल्कि यूक्रेन के लोगों को आजाद करने के लिए वे ऐसा कर रहें हैं ।


रूस तथा यूक्रेन के युद्ध को शुरू हुए लगभग 1-5 वर्ष होने वाले हैं, मगर अभी तक यह पुरी तरह से बेनतीजा नजर आती है।

युद्ध के शुरू होने से पहले रूस के राष्ट्रपति ने अपने एक अभीभाषण के दौरान कहा था कि यूक्रेन ने हमारे सामने अब कोई विकल्प नही छोड़ा है, सिवाय उस रास्ते के जो आज हम लोग यहां करने वाले हैं, हमें यह काम पूरी गंभीरता से करना होगा क्योंकि डोनबास के नागरिकों ने रूस से मदद मांगी है।


इसके कुछ ही समय के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति टीवी पर आये तथा उन्होने कहा कि यूक्रेन के लोग तो पहले से ही आजाद हैं तो ऐसे में वे किसे आजादी देना चाहते हैं, अगर वो हमला करते हैं तो हम उनका सामना करेंगे ।

इसके कुछ ही समय के बाद रूस की आर्मी यूक्रेन की राजधानी कीव तक पहुंच गयी थी, जो पुरी तरह से हथियारों से लैश थी।

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जंग के ऐलान के बाद रूस की सेना तेजी से कीव की और बढी तथा दोनों देशों की लड़ाई से शहर या गाँव ही नहीं बल्कि आमजन का जीवन लगभग तहस-नहस हो गया।

 रूस-यूक्रेन युद्ध के पूरी दुनिया पर होने वाले असर

रूस तथा यूक्रेन युद्ध के कारण एक और जहां दोनों देश एक दूसरे पर हावी होते नजर आते हैं, वहीं ऐसे समय में एक सवाल जो सभी को परेशान करता दिखाई देता है कि आखिर इस प्रकार के दो देशों के युद्ध से बाकी की दुनिया को क्या नुकसान हो सकता है, आज के प्रसंग में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगें कि आखिर वो क्या पहलू हो सकते हैं, जिनसे आने वाले समय में इस पुरी दुनिया को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

 

(1) वैश्विक आर्थिक मंदीः- जब दो देश आपस में एक दूसरे के साथ युद्ध के मैदान में होते हैं तो इसका असर पूरी दुनिया पर देखा जा सकता है। आज हम अपने चारों और इस प्रकार की चर्चा को बड़े आसानी के साथ सुन और देख सकते हैं कि युद्ध के कारण न केवल दो देश बल्कि उनके समर्थक देश भी आपस में लेन-देन को बंद कर देते हैं, या बडे-बडे वैश्विक संगठन उन देशो के साथ रिश्ते खत्म करने के लिए बाकी के उन देशों पर दबाव बनाते हैं, ताकि किसी भी प्रकार से आक्रमणकारी देश के अंदर की आर्थिक गतिविधियों को रोककर उस देश की आर्थिक रूप से क्षति की जाये ताकि वह जल्द से जल्द युुद्ध को समाप्त करने के बारे में सोचें 


वैश्विक भुखमरी में वृद्धिः-

 रूस तथा यूक्रेन के युद्ध के बाद वे देश जो अभी तक पूरी तरह से विकसित नहीें हुए हों या वे देश जो बाकी के देशों के साथ मिलकर काम कर रहंे हों, ऐसे देशो पर भुखमरी का असर आसानी से देखा जा सकता है। 
ऐसे देशों का बाकि के देशों के साथ किसी भी प्रकार से व्यापार आदि का बंद हो जाना वहां के लोगों के लिए गले की फांस बन जाता है। 

महंगाई में बेहिसाब वृद्धि

दूसरे देशों के साथ आयात-निर्यात बंद हो जाने के कारण छोटे देशों पर महंगाई की मार, लोगों का छिनता व्यापार और उनके टूटते सपनों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।  

रूस- क्रीमिया पूल आपातकाल

रूस तथा यूक्रेन लगबग 1.5 साल से युद्ध के मैदान में है, जो लगभग किसी परिणाम की ओर जाता नही दिख रहा है, बल्कि युद्ध के कारण आये दिन दोनो देशों के तल्ख तेवर देखने को मिल रहे हैं, वही एक खबर के मुताबित रूस क्रीमिया को जोड़ने वाले पूल को लेकर क्रीमिया के गवर्नर ने बयान देते हुए कहा कि, पूल की मौजूदा हालात ठीक नही है, इसलिए लोगो से अपील की जाती है कि वो इसका इस्तेमाल करने से बचें, तथा इसके स्थान पर किसी वैकल्पिक रास्ते का उपयोग करें।


रूस ने ब्लैक सी ग्रेन अग्रीमेंट को खत्म किया

रूस तथा यूक्रेन पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से युद्ध मे है, इस दौरान दोनों देश बेहिसाब पैसा व लोगो को खोने के बावजूद भी पीछे हटने का नाम नही ले रहे हैं, ताजा खबरों के मुताबित अब रूस ने यूक्रेन के साथ ब्लैक सी ग्रेन के समझौते को खत्म करने का ऐलान का दिया है, ओर कहा है कि हमारी कुछ शर्तें है, उन्हें मानने तक हम इस समझौते से दूर रहेंगे।

रूस के फैसले से अब क्या

रूस का यह फैसला गरीब देशों के लिए अच्छा संकेत नही है, इसके अलावा अमीर देशो पेर भी इसका असर आसानी से आने वाले समय मे देखा जाएगा, जो अपने साथ एक बड़ी संख्या में भूख के कारण लोगो की मौत का कारण बन सकता है।
इससे पहले भी रूस एक बार पहले ऐसा कर चुका है, जिसके कारण कई अफ्रीकी देशों में अनाज का संकट खड़ा हो गया था, मगर उस समय जैसे- तैसे रूस के राष्ट्रपति ने अपना यह फैसला वापस ले लिया था, इस बार इससे किसका कितना बुरा होगा ये आने वाला समय ही बताएगा।

रूस की तरफ से ग्रेन डील खत्म किए जाने से यूक्रेन के प्रेसिडेंट परेशान नहीं दिखे। उन्होंने कहा- इसमें यूक्रेन और रूस दोनों शामिल थे। अब रूस पीछे हट गया है, लेकिन यूक्रेन फूड सप्लाई जारी रखेगा।


जेलेंस्की के स्पोक्सपर्सन ने कहा- रूस के अलग होने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हम ब्लैक सी के जरिए सप्लाई जारी रखेंगे। इसमें UN की मदद लेते रहेंगे। हमने शिपिंग कंपनियों से बातचीत की है और वो सप्लाई के लिए तैयार हैं। तुर्किये के रास्ते दुनिया को अनाज पहुंचाना जारी रखा जाएगा।

पिछले साल मार्च से अब तक करीब 32 लाख टन ग्रेन आइटम्स ब्लैक सी के जरिए सप्लाई किए गए हैं। इसमें रूस और यूक्रेन दोनों का हिस्सा शामिल है।