यूनिफाॅर्म सिविल कोड के बारे में क्या कहता है, भारत
सरकार के द्वारा विधि आयोग को यूसीसी पर पुनः चर्चा करने के आदेश के साथ से ही पूरे देश में बस इसी के बारे में चचाएं हैं, जो थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं, तथा साथ ही इस पर विभिन्न संस्थाओं तथा धर्मगुरूओ के द्वारा अपने वर्ग विशेष पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में समाज व सरकार को इसके बारे में बता रहे हैं।
इन सब विचारों में कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक भी हैं। आज के इस प्रसंग में हम आप सबके साथ इसी प्रकार के विचारों पर बात करेंगें तथा समझने का प्रयास करेंगें कि यूसीसी के बारे में लोगों के मन में उठ रहीं, इन सब सवालों के बारे में उनके प्रतिनिधी क्या सोचते हैं, या वे संस्थाएं जिनसे वे संबंध रखते हैं, इस कानून के बारे में क्या सोचते है।
(1) प्रधानमंत्री
यूसीसी को लेकर देश के प्रधानमंत्री कई बार जनता को इसके बारे में बता चुके हैं।
अपने हाल के भाषण के दौरान भी उन्होंने इसके बारे मे बात करते हुए लोगों को कहा था कि यह हमारे देश के लिए अतिआवश्यक है, क्योंकि जिस प्रकार किसी एक परिवार के दो सदस्यों के उपर दो अलग-अलग कानून नहीं लगाये जा सकते हैं, उसी प्रकार देश के लिए भी एक कानून की जरूरत है, जो समाज के हर एक तबके को समान अधिकार एव सुरक्षा की गारंटी देता है।
यूसीसी को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग तीन तालाक की बात करते हैं, वे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं, लोगों को उन बेटियों के बारे में सोचना चाहिए, उनके परिवार के बारे में सोचना चाहिए, इससे आगे वे समान नागरिक संहिता के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि तीन तालाक यदि इतना ही जरूरी है तो बाकी के इस्लामिक देशों में यह क्यों बैन है, इसलिए जो लोग इसकी वकालत करते हैं, वे केवल वोट-बैंक की राजनिति करते हैं, इससे ज्यादा वे कुछ नहीं करते हैं।
आगे वे कहते हैं कि यूसीसी के नाम पर लोगों को भड़काने का काम किया जा रहा है, दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पायेगा, इसलिए यूनिफाॅर्म सिविल कोड की जरूरत है।
(2) समान नागरिक संहिता देश के लिए जरूरीः- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ जी ने हाल के एक समारोह में समान नागरिक संहिता के बारे में बोलते हुए कहा कि, जब यह हमारे देश के लिए इतना जरूरी है, तो इसे लागू करने में जितनी देर की जायेगी यह हमारे लिए उतना ही हानिकारक होगा, आगे बोलते हुए वे कहते हैं कि हमारा यह संविधान हमें इस बात की जानकारी देता है कि राज्य सम्पूर्ण देश में समान नागरिक संहिता के लिए कार्य करेगा तो इसे लाने के लिए की जा रही देर हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी।
वे आगे कहते हैं कि इसके उपर कुछ लोगों के दिये गये बयान वास्तव में हैरान करने वाले हैं। हम अमृतकाल में हैं, ऐसे में समान नागरिक संहिता हमारे राष्ट्रवाद को और ज्यादा मजबूत करने का काम करेगा, इसमें कोई शक नहीं है।
बातो ही बातों में उन्होनें ऐसे लोगों या संस्थाओं को भी निशाना बनाया जो भारत के बाहर से यहां के लोगों के मत बदलने की कोशिश में लगे हुए हैं, जो किसी तरह के बदलाव के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं, और जो हमारी संप्रभुता व एकता के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों के बारे में धनकड़ कहते हैं कि हम एक फलते-फुलते लोकतंत्र का हिस्सा हैं, जो किसी भी प्रकार से राष्ट्र विराधी नेरेटिव को सहन नहीं कर सकते हैं।
इसके बाद वे कहते हैं कि यहां उपस्थित युवा लोग इसके अच्छे व बुरे भाग के बारे में आसानी से समझ सकते हैं व लोगों को भी इसके बारे में बता सकते है ।
(3) अर्मत्य सेनः-
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्मत्य सेन ने पत्रकारों से बात करते हुए, समान नागरिक संहिता पर कई तरह के सवाल खड़े किये और कहा कि इसकी भला क्या जरूरत है, हम इसके बिना भी इतने सालों से रह रहे हैं।
समान नागरिक संहिता का मतलब देश को हिंदु राष्ट्र बनाने से जोडते हुए उन्होनें कहा कि कुछ लोग इसे लागू करने में हो रही देरी के बारे में सवाल उठा रहें हैं, यह अपने आप में कितना मूर्खतापूर्ण है। उन्होनें कहा कि हिंदु राष्ट्र होना ही केवल एकमात्र तरीका नहीं हो सकता है कि जिससे हमारा देश प्रगति करे, बल्कि इसे एक व्यापक दृष्टिकोण से देखे जाने की जरूरत है।
अर्थात् यूसीसी को लागू करना उस बड़े और जटिल मुद्दे को उजागर करता है, जो अपने आप में इस प्रकार से इसे लागू करने से लेकर जुड़ा हुआ है।
(4) मुस्लिम लाॅ बोर्डः-
समान नागरिक संहिता को लेकर लगातार विराध कर रहे मुस्लिम लाॅ बोर्ड ने कहा कि कैसे बहुसंख्यकवाद, अल्पसंख्यकवाद पर हावी हो सकता है। उन्होंनें कहा कि भारत में संविधान हमे इस बात की इजाजत देता है, कि हम अपने कुरान के आधार पर बनाये गये कानूनों के हिसाब से चलें।
वे आगे कहते हैं कि इस संबंध में हमने विधि आयोग को अपनी रिपाॅर्ट भेज दी है।
अपने तर्क में उन्होने कहा कि संविधान कुछ लोगों या वर्ग विशेष को ऐसे अधिकार देता है तो वो सब बने रहने चाहिए।
मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने कहा कि संविाधान सभी को बराबर रखने का काम करता है, मगर यह खुद ही अल्पसंख्यको को जो विशेष अधिकार देता है, उससे हमें वंचित नहीं किया जा सकता है ं।