Ajmer sex scandal

 


Ajmer 1992 or Ajmer sex scandal


Ajmer files or ajmer sex scandal 1992


आजकल एक फिल्म ‘अजमेर 92काफी चर्चा में है, या यूँ कहे कि काफी

विवादों में हैं, कुछ लोग इसे एक वर्ग विशेष के खिलाफ चलाया जाने वाला

एजेंडा करार दे चुके हैं, वहीं कुछ लोग इसके आने का इंतजार कर रहें हैं।

 

रिलीज से पहले ही इतना ज्यादा विवादों और चर्चाओं में रहने वाली फिल्म

के ऐसे अनछुए पहलुओं पर बात करेंगें जो शायद आपको नहीं पता हो।

सामान्य से ज्यादा सुर्खिया बटोरने वाली इस मूवी को समझते हुए हम

इसकी असल कहानी के उपर बात करेगें कि क्यूं कुछ लोग इसे रिलीज से

 पहले ही बंद करा देना चाहते हैं।  आज का हमारा यह प्रसंग इसी फिल्म की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो आज से 30 साल पुरानी है, और जो

आज भी अपने में कई राज समेटे हुए है।

 

अजमेर 1992/ अजमेर सेक्स स्कैण्डल


बात उस समय की है, जब भारत में तकनीकि तक सभी लोगों की पहुँच

नहीं हुआ करती थी तथा लोग समाचारों के लिए लगभग अखबारों पर

निर्भर थे, उस समय जब अखबार भी शायद गिनती के हुआ करते थे तथा

सूचनाएँ फैलने मे काफी समय लगता था।

 

ऐसे समय में भारत के राज्य राजस्थान में घटित एक घटना जो शायद

किसी भी स्वतंत्र देश की अभी तक की सबसे बड़ी  घटना थी, जो मानवता

के चेहरे को बुरी तरह से बेनकाब करने वाली थी, जो हमें यह समझाने

वाली थी कि शायद ईंसान का जमीर कितना नीचे तक गिर सकता है, इस

बात का अंदाजा लगाया जाना भी बहुत मुश्किल है।

तो घटना राजस्थान राज्य के अजमेर जिले की है, जहां इस प्रकार की

बर्बरता से परिपूर्ण, मानवता को शर्मशार करने वाली घटना को इसी

समाज के कुछ लोगों द्वारा अंजाम दिया गया, जिसकी गुत्थी आज भी

शायद पूरी तरह से सुलझी नहीं है।

 

यह अमानवीय, अक्ष्मय घटना 1991 के आखिर में धीरे-धीरे लोगों के

 सामने आती है जब अजमेर में उस समय इलेक्ट्राॅनिक मीडिया इतनी

ज्यादा प्रचलन में नहीं थी, तो उस समय के एक नामी प्राइवेट स्कूल की

कुछ छात्राओं की अश्लील तश्वीरें लोगों के सामने आने लगती हैं, शुरू में

इन तस्वीरों की तादात कुछ कम थी, जो बाद में धीरे-धीरे बढने लगती है,

तथा जैसे-जैसे समय बितता है, ये तस्वीरे बडी संख्या में लोगों तक पहुँच जाती हैं, जो बाद में राजस्थान के ऐसे घीनौने अपराध का पर्दा फाश करती

हैं, जिसके बारे मेें शायद किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा, जो

आज तक कभी नहीं हुआ और ना ही कभी होना चाहिए।

 

तस्वीरें सामने आने के बाद कुछ लड़कीयाँ जिनकी वो थी उन्होनें

आत्महत्या करना शुरू कर दिया, एक-एक करके जब ये सिलसिला

चलता गया तो धीरे-धीरे इस मामले से पर्दा उठता चला गया।

 

उस समय की ये तस्वीरे सामान्य लोगों के साथ-साथ जब कुछ अखबार

वालों तक पहुँची तो उनमें से कुछ ने इस मामले में चुप रहना ही ठीक

समझा और कुुछ ने जो इस पर आवाज उठाना चाहते थे, उनकी आवाज

को बुलंद होने से पहले से दबा दिया गया।

 

उस समय के एक अखबार नवज्योति ने इन सब तस्वीरों के बारे में छापने

का सोचा और मई 1992 में नवज्योति अखबार ने जैसे-तैसे अपने अखबार

में इन तस्वीरों को छाप दिया, जिसके बाद न केवल राजस्थान बल्कि देश

के बड़े-बडे़ राजनितिज्ञों की कुर्सी को हिलाकर रख दिया, जो इस मामले में खुद को इससे अलग रखने की कोशिश कर रहे थे, उनको भी बोलने पर मजबूर कर दिया।

 

इस पूरी घटना को अंजाम देने के लिए लगभग 18 लोगों के खिलाफ केस

 दर्ज किया गया था, जिसमंे से कुछ को सजा हुई, कुछ घटना के सामने

आने के बाद वहां से फरार हो गये और कुछ तो आज भी लापता है।

 

कैसे हुई पुरी घटना


Ajmer files or ajmer sex scandal 1992


 

जघन्य अपराध की शुरूआत में अपराधी एक लड़की को किसी तरह से

बहला-फुसलाकर उसे किसी फाॅर्म-हाउस में लेकर जाते हैं, जहाँ उसके

साथ अमानवीय कृत्य किये जाते हैं, तथा ऐसी ही हालात में उसकी फोटो

भी ले ली जाती हैं, जिसके बाद लड़की को डराकर कि ‘यदि उसने किसी

को कुछ बताया तो उसकी इन तस्वीरों को सार्वजनिक कर दिया जायेगा‘

वहां से भेज दिया जाता है।

 

इसके बाद उस लड़की को धमकाया जाता है कि ‘तुम अपने साथ की

किसी सहेली को अपने साथ लेकर फाॅर्म-हाउस आ जाओ, ऐसा ना करने

पर तूम्हें बदनाम कर देगें‘।

 

लड़की चूंकि पूरी तरह से डरी हुई थी, तथा इस डर से की कहीं ये बात

सबके सामने ना आ जाये व इस विश्वास से जो उन लोगों ने उससे कहा था

कि इसके बाद तुम्हारी सारी तस्वीरें हटा दी जाएंगी तो इसलिए वह

मजबूरन ऐसा करने के लिए तैयार हो जाती है, तथा किसी दूसरी लड़की

को अपने साथ ले जाती है।

 

इसके बार दूसरी लड़की के साथ भी वही अमानवीय कृत्य किये जाते हैं,

उसकी तस्वीरें निकाली जाती हैं तथा उससे भी ऐसा ही करने को कहा

जाता है, इस प्रकार से यह घीनौना पाप लगातार चलता रहता है, तथा एक

अनुमान के हिसाब से उस वक्त वहां उस स्कूल की लगभग 200 से 250

लड़कीयों की असमत के साथ ये घीनौना पाप किया जाता है।

 

घटना का पता कैसे चला

Ajmer files or ajmer sex scandal 1992


 

इस जघन्य अपराध से पर्दा तब उठा जब लगातार ब्लैकमेलिंग तथा

मानसिक रूप से टूट जाने के बाद स्कूल की लड़कीयों ने सूसाइड करना

शुरू कर दिया, उस समय की रिपाॅर्ट के अनुसार एक-एक कर कुल 6

लड़कीयों ने आत्महत्या(मर्डर) कर ली, ऐसे में सवाल उठना लाजमी था,

कि क्यूँ एक ही स्कूल से लगातार ऐसी घटनाएँ सामने आ रहीं हैं, इसी

दौरान कुछ लड़कीयों की आपत्तीजनक तस्वीरें भी सामने आने लग गई

थीं, जिसके बार लोगों के शक को बल मिलता चला गया। मगर उस समय

तक भी इस मामले को लोगों के द्वारा उतना ज्यादा तवज्जो नहीं दिया

गया जिसके पीछे कुछ बचकाने व अविश्वसनीय तर्क कुछ इस प्रकार थे-

 

-वे लोग जिन्होनें इस घटना को अंजाम दिया है, वे अपने पहुंच दूर तक रखते हैं

-उन लोगो के किये गये अपराध की वजह से पूरी कम्यूनिटी पर सवाल खड़े होंगे

-उनके कृत्यों के कारण हिंसा भडक उठेगी

ऐसे कारणों की वजह से इस मामले को जितना हो सके दबाने की कोशिश

की जा रही थी, मगर इन सबके बावजूद भी यह पूरी घटना लोगों के सामने

आयी इसकी एक वजह यह थी कि इस प्रकार के कुकर्म को अंजाम दिये

जाने के बाद ली गयी तस्वीरों को प्रिंट करने के लिए जहां दिया जाता था,

वहां काम करने वाले लोगों से जाने-अनजाने ये तस्वीरे लगातार बाहर निकलती रहीं।

 

इसके बाद जब ये तस्वीरों बहुत ज्यादा संख्या में बाहर आ चुकी थी तो अब

धीरे-धीरे ये अखबार वालों के हाथ लगना शुरू हुई और मई 1992 में

आखिरकार नवज्योति अखबार ने यह फैसला लिया कि चाहे जो भी वो

अपने अखबार में इस घटना को छापेगा ।

 

घटना जैसे ही अखबार के माध्यम से लोगों तक पहुंचती है तो आम लोगों

के साथ-साथ सरकार तक के होश उड़ा कर रख देती है। इसके बाद अगले

तीन दिन तक अजमेर बंद रखा जाता है, व अलग-अलग जगहों पर धरना

प्रदर्शन व आंदोलन होता है, घटना राजनीति का रूप् देने की कोशिश की

जाती है, एक दसरी पार्टी के लोग विपक्षी लोगों पर आरोप लगाते हैं।

 

इसके बाद पुलिस मामले को दर्ज करती है व छानबीन शुरू करती है, कहा जाता है कि शुरूआत में 30 लड़कीयाँ मामले की गवाही के लिए तैयार हो

जाती हैं, मगर जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, उनके हौसले पस्त होते

जाते हैं, व अंत में केवल 2 लड़कीयाँ गवाही के लिए तैयार होती हैं, जिसके आधार पर कुल 18 ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जो इस जघन्य अपराध को अंजाम देते हैं, इसमें से 12 को पुलिस पकड़ लेती है, व बाकी फरार हो जाते है।

इसके बाद 18 मई 1998 को सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी जाती है।

मगर कोर्ट में ट्रायल के दौरान ही इस कांड का मुख्य आरोपी फारूख चिश्ती अपने वकीलों की मदद से खुद को दिमागी रूप से कमजोर साबित करने में कामयाब हो जाता है] इस कारण वह जेल जाने से बच जाता है।

 

इसके कुछ साल के बाद जब चिश्ती पर पुनः फास्ट ट्रेक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाता है] जिसमें उसे अपराधी मानते हुए] कानून के द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है] मगर उसे जल्द ही इससे भी रिहा कर दिया जाता है।

 

सजा होने के बाद इस केस के लगभग आरोपी आज भी कानून की पकड़ से दूर हैं, कुछ को सजा हुई मगर वे जल्दी छुट गये] कुछ को बेल दे दी गयी] इनमें से कुछ तो विदेश भाग गये ऐसी भी घटनाएं सुनने को मिलती है।

वर्तमान में देखा जाये तो यह कहना गलत नहीं होगा की आज के समय में सभी आरोपी खुले में घूमते हैं] वो लोग अपने राजनितिक सपोर्ट या अन्य किसी भी कारणो से ऐसा करते होगें, मगर इन सब बातो से पीडिता को कितना दुख होता होगा, ऐसा सोचने वाला कोई नहीं है।

कैसे बदला लोगों का जीवन

इस प्रकार के जघन्य अपराध के बाद से लोगों में एक प्रकार का भय की इस प्रकार की घटना दूबारा ना हो इसके लोगों ने अब पहले की बजाय ज्यादा सावधानी बरतनी शुरू कर दी, कहा तो यहां तक जाता है कि कई सालों तक अजमेंर के इस हिस्से से लोग अपने घर के बच्चों का रिश्ता करने से भी डरते थे।

इसके अलावा कई मां-बाप अखबार के vkWfQl में जा-जाकर यह चेक करते थे कि कहीं उनकी लड़की की भी फोटो तो इस कृत्य में शामिल नहीं है।

ऐसा घिनौना कृत्य करने वाले लोग भी आज हमारे समाज में खुले आम घूम रहें हैं, इसे कानून व प्रशासन की कमजोरी ही कहा जा सकता हैं, जिसके खिलाफ सभी को आवाज उठाने की जरूरत हैै। 

 यही वह कहानी है, जिस पर फिल्म बनाये जाने को लोगों के बीच विवाद की तरह से देखा जा रहा है। 

हालांकि यह तो फिल्म आने के बाद ही कहा जा सकता है कि उसमें फिल्म के तथ्यों को कितनी गहराई से दिखाया जा सकता है? मगर जो भी हो विरोध तो तय हैै।  

you may also like

Chandrayaan-3

स्वीडन में कुरान विवाद

फ्रांस में हिंसा

यूनिफॉर्म सिविल कोड

मणिपुर हिंसा